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साल भर के भीतर ही गड़बड़ाने लगे टैबलेट

 


लखनऊ। परिषदीय विद्यालयों को डिजिटल करने के लिए दिए गए टैबलेट को साल भर पूरे नहीं हुए परन्तु अब वे दिक्कतें देने लग गए हैं। आलम यह है कि टैबलेट के संचालन में शिक्षकों को पसीने छूट रहे हैं। दूरदराज ही नहीं ज्यादातर ग्रामीण इलाकों में टैबलेट पर काम करना काफी कठिन हो रहा है।

टैबलेट्स में इस तरह की आ रहीं समस्याएं

■ कनेक्टिविटी काफी कम होना।


■ बैटरी बैकअप कम होने से बिजली नहीं आने पर जल्द बन्द हो जाता है टैबलेट


■ 4जी सिम से ही संचालित होने से

* ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्रों में संचालन काफी मुश्किल।


* रोजाना अपडेट करने की समस्या।


* जरूरत के हिसाब से काफी कम मेमोरी।



परिषदीय विद्यालयों में दैनिक कामकाज के लिए रखे गए 12 रजिस्टरों को पूरी तरह से डिजिटल करने के लिए सरकार ने सभी विद्यालयों को ये टैबलेट दिए हैं। विद्यालयों में इन पर काम शुरू भी हो गया है लेकिन बीते अप्रैल में मिले इन टैबलेट को चलाने की समस्याएं आने लगी हैं। टैबलेट के लिए सरकार ने 2023 में ही टेंडर किया था और पिछले वर्ष ही इसकी आपूर्ति हुई है, लिहाजा उस हिसाब से शिक्षकों द्वारा इसे पुराना वर्जन कहा जा रहा है। जानकारों के अनुसार स्कूल शिक्षा महानिदेशालय को रोज दो से ढ़ाई सौ शिकायतें टैबलेट के संचालन को लेकर मिल रही हैं। कुछ शिकायतें तो वीडियो काल से दुरुस्त किये जा रहे हैं लेकिन जहां गम्भीर समस्याएं रहती हैं, वहां महानिदेशालय से तकनीकी टीम जाकर गड़बड़ियों को दुरुस्त कर रही है या फिर टैबलेट बदले जा रहे हैं।

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