लखनऊ, विशेष संवाददाता। राज्य सरकार ने सरकारी कर्मचारियों की तरह आउटसोर्सिंग कर्मियों के हितों में बड़ा फैसला किया है। आउटसोर्सिंग पर रखे जाने वाले कर्मियों को अब मनमाने तरीके से एजेंसियां नहीं निकल पाएंगी। उन्हें निकालने से पहले संबंधित विभागों से अनुमति लेनी होगी। इसके साथ ही हर माह की तय तारीख पर उन्हें मानदेय देना होगा। जेम पोर्टल से खरीदारी के साथ ही नीलामी भी अनिवार्य कर दी गई है। इसके आदेश के बाद विभाग अब स्क्रैप मनमाने तरीके से नहीं बेंच पाएंगे। उन्हें जेम पोर्टल के माध्यम से इसकी बिक्री करनी होगी। मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने बुधवार को जेम पोर्टल से खरीदारी और बिक्री के लिए संशोधित शासनादेश जारी करते हुए विभागाध्यक्षों को निर्देश भेज दिया है। शासनादेश में कहा गया है कि सेवा प्रदाता एजेंसियों द्वारा कर्मियों को रखने के लिए अवैध रूप से पैसा नहीं लिया जाएगा। सेवा में रखे जाने के बादसमय से पूरा भुगतान न करने के संबंध में शिकायत होने पर संबंधित एजेंसियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। आउटसोर्सिंग के माध्यम से रखे जाने के बाद किसी भी कर्मी को एजेंसियां स्वयं नहीं बदला सकेंगी। अनुशासनहीनता और दंडनीय अपराध की स्थिति में विभाग से अनुमति लेने के बाद ही निकाला जा सकेगा। अनियमितता रोकने के लिए आउटसोर्सिंग कर्मियों को सेवायोजन पोर्टल के माध्यम से ही रखना अनिवार्य कर दिया गया है।
पोर्टल से वरिष्ठता के आधार पर होगा चयन
अभ्यर्थियों की तैनाती के लिए सेवायोजन विभाग द्वारा तैयार किए गए पोर्टल से वरिष्ठता के आधार पर चयन किया जाएगा। विभागों द्वारा कर्मियों की मांग के अनुसार एक कर्मी के लिए पांच आवेदनकर्ता और दो या उससे अधिक होने पर तीन गुना लिस्ट तैयार की जाएगी। आउटसोर्सिंग कर्मियों की उपस्थिति उसी माह के अगले कार्यदिवस को ई-मेल से विभागों को देना होगा और मानदेय इसके चार से छह दिनों के अंदर दिया जाएगा। जीपीएफ का पैसा हर माह की 14 तारीख को अनिवार्य रूप से जमा करना होगा। एजेंसियों द्वारा कर्मियों का एक माह तक जीपीएफ में पैसा जमा नहीं किया जाता है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
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