वेतन आयोगों द्वारा न्यूनतम वेतन वृद्धि का सफर:
- पहला वेतन आयोग (1946-47) – न्यूनतम वेतन 55 रुपये निर्धारित।
- दूसरा वेतन आयोग (1957-58) – वेतन 1.45 गुना बढ़कर 80 रुपये हो गया।
- तीसरा वेतन आयोग (1973) – वेतन 2.31 गुना बढ़कर 185 रुपये हुआ।
- चौथा वेतन आयोग (1986) – वेतन 4.05 गुना बढ़कर 750 रुपये हुआ।
- पांचवां वेतन आयोग (1996) – वेतन 3.4 गुना बढ़कर 2550 रुपये हुआ।
- छठा वेतन आयोग (2006) – वेतन 2.74 गुना बढ़कर 7000 रुपये हुआ।
- सातवां वेतन आयोग (2016) – वेतन 2.57 गुना बढ़कर 18000 रुपये हुआ।
विश्लेषण:
- शुरुआती वेतन आयोगों में वृद्धि की दर अपेक्षाकृत अधिक रही।
- चौथे वेतन आयोग (1986) में सबसे अधिक वृद्धि (4.05 गुना) हुई।
- छठे और सातवें वेतन आयोगों में वृद्धि की दर कम हो गई, लेकिन वास्तविक वेतन काफी बढ़ा।
- सातवें वेतन आयोग में न्यूनतम वेतन 18000 रुपये तक पहुंच गया।
आठवें वेतन आयोग के गठन और वेतन वृद्धि के संबंध में हाल ही में महत्वपूर्ण घटनाक्रम सामने आए हैं। 16 जनवरी, 2025 को केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने घोषणा की कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 50 लाख से अधिक केंद्र सरकार के कर्मचारियों के वेतन संशोधन के लिए आठवें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी दे दी है। आयोग की सिफारिशें 1 जनवरी, 2026 से लागू होने की संभावना है।
आठवें वेतन आयोग की लागू होने पर, केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी में महत्वपूर्ण वृद्धि की उम्मीद की जा सकती है। उदाहरण के लिए, सातवें वेतन आयोग ने फिटमेंट फैक्टर 2.57 निर्धारित किया था, जबकि आठवें वेतन आयोग में इसे बढ़ाकर 2.86 करने की संभावना है। इससे न्यूनतम बेसिक सैलरी में उल्लेखनीय वृद्धि हो सकती है।
हालांकि, ये सभी आंकड़े अनुमानित हैं, और वास्तविक वृद्धि आयोग की सिफारिशों पर निर्भर करेगी।
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