लखनऊ: उत्तर प्रदेश में 4200 ग्रेड पे वाले कर्मचारियों के लिए हाउस रेंट अलाउंस (HRA) की दरें अलग-अलग निर्धारित की गई हैं। शहरी क्षेत्रों के 15 जनपदों जैसे लखनऊ, कानपुर, प्रयागराज, आगरा, मेरठ, गाज़ियाबाद, वाराणसी आदि में HRA की दर 4040 रुपये प्रति माह है, जबकि अन्य जिलों में यह मात्र 2020 रुपये है। यह अंतर मुख्यतः इन जिलों में जीवन यापन की उच्च लागत को ध्यान में रखते हुए किया गया है।
हालांकि, छोटे कस्बों और ग्रामीण क्षेत्रों में HRA की दर कम रखना उचित नहीं है। इन स्थानों में मकानों की संख्या कम होने के कारण किराया अक्सर अधिक होता है। मकान की मांग और आपूर्ति के बीच असंतुलन और सीमित आवासीय सुविधाएं कर्मचारियों को अधिक खर्च करने पर मजबूर करती हैं। ऐसी स्थिति में, इन क्षेत्रों के कर्मचारियों को समान HRA न मिलना अन्यायपूर्ण प्रतीत होता है।
HRA का उद्देश्य कर्मचारियों को आवासीय खर्चों में राहत देना है। यदि यह पूरे राज्य में समान रूप से लागू किया जाए, तो सभी कर्मचारियों को स्थान विशेष के कारण होने वाली आर्थिक कठिनाइयों से बचाया जा सकता है। इसके लिए किराये की दरों और जीवन यापन की लागत का व्यापक सर्वेक्षण किया जाना चाहिए।
इसके अलावा, सरकार को छोटे कस्बों में सरकारी आवासीय सुविधाओं का विस्तार करना चाहिए या किराये पर सब्सिडी प्रदान करनी चाहिए। इससे न केवल कर्मचारियों को राहत मिलेगी, बल्कि स्थानांतरण के दौरान आने वाली परेशानियां भी कम होंगी।
HRA प्रणाली को समान और निष्पक्ष बनाने से कर्मचारियों का मनोबल बढ़ेगा और वे अपनी जिम्मेदारियों को बेहतर तरीके से निभा सकेंगे। यह कदम प्रशासनिक सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल हो सकती है।
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