शिक्षकों पर हमले: शिक्षा प्रणाली पर गंभीर सवाल
देश के विभिन्न राज्यों में शिक्षकों पर हमलों की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। ये घटनाएं न केवल शिक्षकों के सम्मान को ठेस पहुंचाती हैं, बल्कि पूरे शिक्षा तंत्र की सुरक्षा और स्थायित्व पर सवाल खड़े करती हैं। हाल ही में बिहार के सहरसा जिले के पतरघट प्रखंड के धबोली पश्चिम पंचायत स्थित मौनी उच्च माध्यमिक विद्यालय में 25 जनवरी 2025 को एक गंभीर घटना सामने आई। एक ग्रामीण ने शिक्षक को धमकाते हुए कहा, "आंख दिखा कर बात मत करो, नहीं तो इसे खींच कर बाहर कर देंगे।"
यह घटना अकेली नहीं है। देश के अन्य हिस्सों में भी ऐसी घटनाएं सामने आई हैं, जो शिक्षकों के प्रति समाज के असंवेदनशील रवैये को उजागर करती हैं।
दिल्ली: शिक्षक पर चाकू से हमला
दिल्ली के इंद्रपुरी में एक सरकारी स्कूल में छात्र ने अपने शिक्षक पर चाकू से हमला कर दिया है. शिक्षक को गंभीर हालत में बीएल कपूर अस्पताल में भर्ती कराया गया. बताया जा रहा है कि 12वीं कक्षा के स्टू़डेंट ने इस वारदात को अंजाम दिया है.
पश्चिम बंगाल: शिक्षकों पर हिंसा
दक्षिण 24 परगना जिले में करीब 50 लोगों की भीड़ ने कथित तौर पर एक सरकारी स्कूल की कक्षा में घुसकर उसके शिक्षकों पर हमला कर दिया।
उत्तर प्रदेश: शिक्षकों का अपमान
झांसी में ग्राम प्रधान ने स्कूल में घुसकर स्टूडेंट्स के सामने कॉलर पकड़कर प्रधानाध्यापक की जूतों से पिटाई कर दी।
मध्य प्रदेश: शिक्षकों पर हमले
धार: मध्य प्रदेश के धार जिले के एक स्कूल में शुक्रवार शाम को एक शिक्षक पर कुल्हाड़ी से हमला हुआ है। गढ़वानी के चुंडीपुरा गांव में अतिथि शिक्षक रमेश पवार (47) पर संजय मोरया नाम के व्यक्ति ने हमला किया है। पवार को सिर में चोटें आईं और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है।
हरियाणा: छात्रों और अभिभावकों का बढ़ता गुस्सा
करनाल के एक सरकारी स्कूल में आठवीं कक्षा के छात्र को च्युंइग गम खाने से रोकने पर उसके स्वजनों ने शिक्षकों पर हमला कर दिया। हमले में तीन शिक्षक घायल हो गए। इस घटना से आहत शिक्षकों ने स्कूल जाने से इनकार कर दिया और वह जिला सचिवालय पहुंचे। पीड़ित शिक्षक की शिकायत पर पुलिस ने दो आरोपितों को काबू कर लिया है।
राजस्थान में शिक्षक पर हमला
जोधपुर में शिक्षक ने छात्र को नकल करने से रोका तो छात्र ने शिक्षक को पीट दिया.
महिला शिक्षकों के साथ छेड़छाड़ और मारपीट की घटनाएं भी अक्सर होती रहती हैं.
सरकार और समाज की जिम्मेदारी
इन घटनाओं से स्पष्ट है कि शिक्षकों के प्रति समाज का रवैया दिन-ब-दिन असंवेदनशील होता जा रहा है। सरकार को शिक्षकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सख्त कानून बनाना चाहिए। ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा के महत्व को बढ़ाने के लिए जागरूकता अभियान चलाना बेहद जरूरी है।
समाधान के सुझाव
- सुरक्षा के लिए कानून: शिक्षकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक मजबूत और सख्त कानून की आवश्यकता है।
- जागरूकता अभियान: समाज को शिक्षकों के महत्व और उनके योगदान के प्रति जागरूक करने के लिए बड़े पैमाने पर अभियान चलाने चाहिए।
- शिक्षकों का सम्मान: स्कूलों और सामुदायिक स्तर पर शिक्षकों को सम्मान देने की परंपरा को बढ़ावा देना चाहिए।
- प्रशासनिक समर्थन: स्थानीय प्रशासन को शिक्षकों की सुरक्षा के लिए तत्पर रहना चाहिए।
निष्कर्ष
शिक्षा किसी भी समाज की प्रगति का आधार होती है, और शिक्षक उस आधार के निर्माणकर्ता। यदि समाज शिक्षकों के प्रति असंवेदनशील रहेगा और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित नहीं करेगा, तो शिक्षा तंत्र कमजोर पड़ जाएगा। देश के हर नागरिक को यह समझना होगा कि शिक्षक केवल पढ़ाने वाले नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण के महत्वपूर्ण स्तंभ हैं।
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